नई दिल्ली। स्वदेशी ब्रांड्स के प्रति नया भरोसा भारतीय उपभोक्ताओं के खरीद निर्णयों को प्रभावित कर रहा है। आधे से ज़्यादा लोगों की पसंद स्वदेशी और छोटे विज़नेस ब्रांड्स हैं। इसकी वजह यह है कि ये ब्रांड आसानी से मिल जाते हैं। यह जानकारी रुकम कैपिटल की एक रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था 2030 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी उपभोक्ता अर्थव्यवस्था वनने की राह पर है।
रुकम कैपिटल की रिपोर्ट वाजार के बदलते रुझानों को दर्शाती है जिससे ब्रांड्स, स्टार्टअप्स और निवेशक भारतीय उपभोक्ताओं के उभरते नजरिए के अनुसार खुद को ढाल सकें। यह रिसर्च उस भारत की सोच को भी दर्शाती है जो युवा है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि लोग अव ऐसे लोकल ब्रांड्स के लिए ज़्यादा कीमत देने को तैयार है जो क्वालिटी में अच्छे है और सामाजिक कारणों का समर्थन करते है।
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रुकम कैपिटल की फ़ाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर अर्चना जहागीरदार ने कहा, ‘भारतीय लोग अव सिर्फ ट्रेंड्स को फॉलो नहीं कर रहे, वल्कि खुद मार्केट को दिशा दे रहे है । यह मार्केट अव किफ़ायत, सपनों और डिजिटल समझ पर खड़ा है । भारत हमें वता रहा है कि वात सिर्फ इस पर नहीं है कि ब्रांड क्या वेचता है, वल्कि इस पर भी है कि वह उनसे कितना जुड़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार यह वदलाव सवसे पारंपरिक कैटेगरीज़ को भी नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर रहा है। फ़ाउंडर्स के लिए यह एक रिमाइंडर है कि अव लॉयल्टी बनाने के लिए सिर्फ डिस्काउंट्स काफ़ी नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की खपत में मायने वनाना ज़रूरी है।’ अध्ययन में शामिल लोगों में 58 फीसद लोगों का मानना है कि वे मुख्य रूप से स्थानीय या छोटे व्यवसायों के उत्पाद खरीदना पसंद करते है। जवकि 30% का मानना है कि स्टार्टअप्स एक समुदाय वनाते है और अपनत्व की भावना वढ़ाते है।
40% का मानना है कि स्टार्टअप ग्राहक – केंद्रित होते है जो उन्हें आकर्षक बनाता है। 76% सर्वे प्रतिभागी, ख़ासकर हेल्थ और वेलनेस कैटेगरी में इको-फ्रेंडली ब्रांड्स चुन रहे है। 73% सर्वे प्रतिभागी ब्रांड्स से सोशल मीडिया पर जुड़ते है, जबकि 67% ने कहा कि वे उन ब्रांड्स को पसंद करते है जो सोशल मीडिया पर एक्टिव और रिस्पॉन्सिव रहते हैं।
टियर 1 वित्तीय समझदारी दिखाता है जहां यूपीआई ( 36%) क्रेडिट कार्ड (24%) के साथ संतुलित है, जबकि टियर 3 में कार्ड का कम उपयोग ( 16%) और सवसे अधिक यूपीआई उपयोग (42%) है।
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